साठीका बीठू चारणों का मुख्य गाव था ! पिछले साढ़े सात सौ वर्ष से बीठू चारण इस गाव मे निवास कर रहे हे ! साठीका का महत्व करणी किनियानी के साठीका आगमन से बढ़ गया ! माता मेहाई को पाकर साठीका तीर्थस्थल बन गया ! जहा कही करणी माता का पदापर्ण हो गया वही स्थान पावन हो गया !
साठीका मे मौड़ बांधकर किनियानी जिस तोरण के नीचे से निकल बीठू परिवार कि सदस्या बन गई , वही पुन्यस्थल श्री करणी धाम साठीका कहलाता हे ! लोग करणी धाम कि जात देने इसी स्थान पर आते हे ! इस टीले का रज रज पवित्र हे ! माताए अपने बच्चो को इस बालू रेत मे लौटाती हे ! फिर उनकी पीठ थपथपाती हे ! यात्री पसरकर इसी टीले को प्रणाम करते हे! लौटते समय पवित्र धूलि सर पर धारण करते हे ! नवरात्री मे इस निर्जन टीले पर मेला मंड जाता हे ! महिलाए लोक गीत गाती हे! माता को मनाती हे !दो खेजडियो के मध्य एक त्रिशूल स्थापित हे ! इसी कि पूजा होती हे ! कहते हे इन दोनों खेजडियो के बीच तोरण द्वार था! सुना हे कि साठीका कि तोरण खेजडी सन् १९५७ तक हरी थी , फिर सूखने लगी ! त्रिशूल वही खड़ा हे , खेजडी का अवशेष मात्र रह गया हे!
पिछले साथ सो वर्षो से साठीका तीन जगह बसा हे ! आरम्भ मे साठीका उस स्थान पर बसा हुवा था , जहा पावन टीला था , सामने मैदान हे ! जहा श्री करणी धाम साठीका का निर्माण कार्य चल रहा हे ! जब श्री करणी माता साठीका को छोड़कर जाग्लू कि और जाने को हुवी तो ग्रामवासियों को वचन दिया था कि मे सदा तुम्हारे साथ रहूगी ,मेरा तोरण यही रहेगा इसे संभाल कर रखना ! मेरी याद आए तो तोरण के दर्शन कर लेना ! तत्पश्चात साठीका गाव थोड़ा पश्चिम मे कुवो के पास आकर बस गया ! यही श्री करणी तोरण मंदीर कि स्थापना हुवी !
साठीका ग्राम तहसील नोखा जिला बीकानेर मे हे ! देशनोक से साठीका ५२ किलो मीटर कि दुरी पर हे !